Kavita Jha

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एक डोर में सबको बांधती,वो हिंदी है, लेखनी कविता प्रतियोगिता# आधे-अधूरे मिसरे-25-Jul-2023

किसी सुबह को शाम बना दे पगली

किसी सुबह को शाम बना दे पगली
अपनी आँखो से जाम पिला दे पगली
तू जुल्फें अपनी लहरा दे  कुछ ऐसे
रात कायह  घना अंधेरा लगे हैं जैसे 
सुबह की आरती सी है तेरी पायल
जब छम छम बजती हैं करती घायल
किसी सुबह को शाम बना दे पगली

कविता झा'काव्य'अविका
#आधे अध

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