एक डोर में सबको बांधती,वो हिंदी है, लेखनी कविता प्रतियोगिता# आधे-अधूरे मिसरे-25-Jul-2023
किसी सुबह को शाम बना दे पगली
किसी सुबह को शाम बना दे पगली
अपनी आँखो से जाम पिला दे पगली
तू जुल्फें अपनी लहरा दे कुछ ऐसे
रात कायह घना अंधेरा लगे हैं जैसे
सुबह की आरती सी है तेरी पायल
जब छम छम बजती हैं करती घायल
किसी सुबह को शाम बना दे पगली
कविता झा'काव्य'अविका
#आधे अध
Shashank मणि Yadava 'सनम'
10-Sep-2023 08:44 PM
Nice
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